आशिक ख़ुदा आशिकी है ख़ुदाई
उन्हीं के सितम और उन्हीं की दुआएँ
देती हैं रह - रह के मुझको सदाएँ
मोहब्बत की दुनियाँ की कैसी कहानी
हैं जिन्हें प्यार करतीं उन्हीं को सताएँ
हैं आशिक ख़ुदा आशिकी है खुदाई
ज़ुल्म ढाएं ख़ुद पे औ ख़ुद को रुलाएँ
आशिकी गर न होती ये दुनियाँ न होती
गर सितमगर न होते न होती दुआएँ
ये दस्तूरे - दुनियाँ ये रश्मे मोहब्बत
शफ़क हो सहर हो ख़ुदा की दुआएँ
फ़लक पे ख़ुदा हो ज़मी पर ख़ुदा हो
जिधर देखो दिक्खे ख़ुदा की दुआएँ
शफ़क हो सहर हो ख़ुदा की दुआएँ
फ़लक पे ख़ुदा हो ज़मी पर ख़ुदा हो
जिधर देखो दिक्खे ख़ुदा की दुआएँ
अज़ीज़ जौनपुरी
Ramakant Singh
Yesterday 8:22 AM
फ़लक पे ख़ुदा हो ज़मी पर ख़ुदा हो
जिधर देखो दिक्खे ख़ुदा की दुआएँ
आशिकी का ये आलम हो
फलक पे तुम ज़मी आसमां पे तुम हो
या खुदा जिधर देखूं उधर तुम ही तुम हो
जिधर देखो दिक्खे ख़ुदा की दुआएँ
आशिकी का ये आलम हो
फलक पे तुम ज़मी आसमां पे तुम हो
या खुदा जिधर देखूं उधर तुम ही तुम हो
Mohan Srivastava Poet
Yesterday 10:17 AM
wah,ajij jaunpuri ji,
bahut sundar prastuti hai.
bahut sundar prastuti hai.
पूरण खण्डेलवाल
Yesterday 1:22 PM
सुन्दर रचना !!
Digamber Naswa
Yesterday 2:12 PM
वाह .. लाजवाब शेर हैं अज़ीज़ भई ...
Pallavi Saxena
Yesterday 2:35 PM
बहुत खूब ...
Bharadwaj Gwalior
Yesterday 6:20 PM
hakikat vayaan kar di apane kam shabdo me.
तुषार राज रस्तोगी
1:11 AM
लाजवाब
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उत्तम
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