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Wednesday, May 29, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी :खूँ की रोशनाई है

             खूँ की रोशनाई है


      एक  नई   तस्बीर  मोहब्बत  की  बनाई है 
      कलम दिल की है   भरी खूँ  की  रोशनाई है 

     दिले - आईना  में  बस  तू ही नज़र आती है
     मेरी सांसों में  मचलती खुश्बुए-आशनाई है

      सुर्ख गलों पे लरज़ती बारहां जाफ़रानी बेलें
      होठों   पे   लगे  आज  बज़  रही  शहनाई है

      पता  ख़ुदा  भी न बता सका सही- सही तेरा  
      तू ज़न्नते-हूर है ,या किस दुनियाँ से आई है

      खिले   हैं  तबस्सुम  के फ़ूल होठों पे बेशुमार 
     तू है ,साकी है , शराब  है, लुफ़्ते बहार आई है

      हुश्न -ए- गुल  पे  थिरकते  वफ़ा  के  झरने
     लगे  की   फ़कीरे-दुआ  दिल  में उतर आई है

                                     अज़ीज़ जौनपुरी
   
    
     
  
     
    
      

14 comments:

  1. पूरी गजल ही खूबशूरत है**** खिले हैं तबस्सुम के फ़ूल होठों पे बेशुमार
    तू है ,साकी है , शराब है, लुफ़्ते बहार आई है हुश्न -ए- गुल पे थिरकते वफ़ा के झरने
    लगे की फ़कीरे-दुआ दिल में उतर आई हैएक नई तस्बीर मोहब्बत की बनाई है
    कलम दिल की है भरी खूँ की रोशनाई है

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  2. kya bat hai sr bhot khub bhot khub waaaaaaaaaaaaaaaaah

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  3. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक .

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  4. बहुत सुन्दर
    हुश्न -ए- गुल पे थिरकते वफ़ा के झरने
    लगे की फ़कीरे-दुआ दिल में उतर आई है

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  5. पता ख़ुदा भी न बता सका सही- सही तेरा
    तू ज़न्नते-हूर है ,या किस दुनियाँ से आई है ..

    दो दिल को हिला दे ... दूसरी दुनिया से ही आता है ... लाजवाब शेर ...

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  6. पता ख़ुदा भी न बता सका सही- सही तेरा
    तू ज़न्नते-हूर है ,या किस दुनियाँ से आई है-------

    वाह बहुत सुंदर भाव
    सादर

    आग्रह हैं पढ़े
    तपती गरमी जेठ मास में---
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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  7. मरहबा!!! सुभानाल्लाह |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  8. सुर्ख गलों पे लरज़ती बारहां जाफ़रानी बेलें
    होठों पे लगे आज बज़ रही शहनाई है

    ...वाह! बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...

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  9. बहुत सुन्दर मनभाती रचना

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  10. बहुत खूबसूरत, हर शेर जन्नते हूर की तरह... दाद स्वीकारें.

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