खूँ की रोशनाई है
एक नई तस्बीर मोहब्बत की बनाई है
कलम दिल की है भरी खूँ की रोशनाई है
दिले - आईना में बस तू ही नज़र आती है
मेरी सांसों में मचलती खुश्बुए-आशनाई है
सुर्ख गलों पे लरज़ती बारहां जाफ़रानी बेलें
होठों पे लगे आज बज़ रही शहनाई है
पता ख़ुदा भी न बता सका सही- सही तेरा
तू ज़न्नते-हूर है ,या किस दुनियाँ से आई है
खिले हैं तबस्सुम के फ़ूल होठों पे बेशुमार
तू है ,साकी है , शराब है, लुफ़्ते बहार आई है
हुश्न -ए- गुल पे थिरकते वफ़ा के झरने
लगे की फ़कीरे-दुआ दिल में उतर आई है
अज़ीज़ जौनपुरी
तू है ,साकी है , शराब है, लुफ़्ते बहार आई है
हुश्न -ए- गुल पे थिरकते वफ़ा के झरने
लगे की फ़कीरे-दुआ दिल में उतर आई है
अज़ीज़ जौनपुरी
BAHUT KHUB
ReplyDeleteपूरी गजल ही खूबशूरत है**** खिले हैं तबस्सुम के फ़ूल होठों पे बेशुमार
ReplyDeleteतू है ,साकी है , शराब है, लुफ़्ते बहार आई है हुश्न -ए- गुल पे थिरकते वफ़ा के झरने
लगे की फ़कीरे-दुआ दिल में उतर आई हैएक नई तस्बीर मोहब्बत की बनाई है
कलम दिल की है भरी खूँ की रोशनाई है
खूबसूरत अशआर
ReplyDeletekya bat hai sr bhot khub bhot khub waaaaaaaaaaaaaaaaah
ReplyDeleteखुबसूरत ग़ज़ल ,सभी शेर अच्छे है
ReplyDeleteअनुभूति : विविधा -2
ReplyDeleteवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक .
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहुश्न -ए- गुल पे थिरकते वफ़ा के झरने
लगे की फ़कीरे-दुआ दिल में उतर आई है
पता ख़ुदा भी न बता सका सही- सही तेरा
ReplyDeleteतू ज़न्नते-हूर है ,या किस दुनियाँ से आई है ..
दो दिल को हिला दे ... दूसरी दुनिया से ही आता है ... लाजवाब शेर ...
खूबसूरत गजल !!
ReplyDelete
ReplyDeleteपता ख़ुदा भी न बता सका सही- सही तेरा
तू ज़न्नते-हूर है ,या किस दुनियाँ से आई है-------
वाह बहुत सुंदर भाव
सादर
आग्रह हैं पढ़े
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in
मरहबा!!! सुभानाल्लाह |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
सुर्ख गलों पे लरज़ती बारहां जाफ़रानी बेलें
ReplyDeleteहोठों पे लगे आज बज़ रही शहनाई है
...वाह! बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
बहुत सुन्दर मनभाती रचना
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत, हर शेर जन्नते हूर की तरह... दाद स्वीकारें.
ReplyDelete