प्यार कैसे करें
धडकती है दिल में धड़कन किसी की
प्यार कैसे करें हम नहीं जानते
चाहा हैं जिनको जी- जाँ से भी ज्यादा
उनसे कैसे कहें हम नहीं जानते
है तम्मना चलें दो क़दम साथ उनके
साथ कैसे चलें हम नहीं जानते
मुड़- मुड़ के उसने मुझको देखा बहुत
कैसे देखें उसे हम नहीं जानते
मौत आई थी मेरी था रोका उसी ने
क्यों रोका था उसने हम नहीं जानते
साथ चलने की ज़िद पे वो अड़ गई
दिल में रहती तो है पर हम नहीं जानते
ऱोज सपने में आ-आ वो जगाती तो है
पर जगाती है क्यों हम नहीं जानते
किताबों में किस्से हजारों लिखे हैं
मगर कैसे लिखें हम नहीं जानते
एक चिंगारी थी वो जो शोला बनी
पर बुझाऊँ कैसे उसे हम नहीं जानते किताबों में किस्से हजारों लिखे हैं
मगर कैसे लिखें हम नहीं जानते
हो कैसे तुम अभी तक जिन्दा"अज़ीज़""
समझते हो क्या हम नहीं जानते
अज़ीज़ जौनपुरी
सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
धीरे-धीरे बस गई, वो धड़कन के संग।
जीवन में उसने भरे, कई अनोखे रंग।।
--
आपकी पोस्ट की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी है!
http://charchamanch.blogspot.in/2013/03/1189.html
बहुत खूब अज़ीज़ साहब ,बेहतरीन प्रस्तुति************************************** है तम्मना चलें दो क़दम साथ उनके
ReplyDeleteसाथ कैसे चलें हम नहीं जानते
मुड़- मुड़ के उसने मुझको देखा बहुत
कैसे देखें उसे हम नहीं जानते
मौत आई थी मेरी था रोका उसी ने
क्यों रोका था उसने हम नहीं जानते
साथ चलने की ज़िद पे वो अड़ गई
दिल में रहती तो है पर हम नहीं जानते
ऱोज सपने में आ-आ वो जगाती तो है
पर जगाती है क्यों हम नहीं जानते
एक चिंगारी थी वो जो शोला बनी
पर बुझाऊँ कैसे उसे हम नहीं जानते
किताबों में किस्से हजारों लिखे हैं
मगर कैसे लिखें हम नहीं जानते
हो कैसे तुम अभी तक जिन्दा"अज़ीज़"
समझते हो क्या हम नहीं जानते
ऱोज सपने में आ-आ वो जगाती तो है
ReplyDeleteपर जगाती है क्यों हम नहीं जानते ..
कोशिश कीजिये क्यों जगाती हैं ... यही प्रेम की निशानी भी है ...
अच्छा शेर है ...
बहुत बढ़िया है आदरणीय-
ReplyDeleteशुभकामनायें -
मौत आई थी मेरी था रोका उसी ने
ReplyDeleteक्यों रोका था उसने हम नहीं जानते
प्यार अभी जिन्दा है.बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति.
किताबों में किस्से हजारों लिखे हैं
ReplyDeleteमगर कैसे लिखें हम नहीं जानते
वाह बहुत खूब लिखा है !हर अश आर अपना वजन और रंग लिए है .
BAHUT HI BHADHIYA KAVITA
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