कोटिशः नमन
जन्म लेकर इस धरा ज्ञान की गंगा बहाया आप ने
जन्म लेकर इस धरा ज्ञान की गंगा बहाया आप ने
पथ कंटको से जो भरे थे उनपर चलना सिखाया आप ने
पावँ जब भी डगमगाए रास्तों पर उनको सम्हाला आपने
उग रहे थे शूल जीवन में जो उनको हंसाया बनाया आपने
अँधेरी जिन्दगी को बन ज्ञान का दीपक जलाया आपने
उँगलियाँ जो लेखनी से आक्रांत हो निरन्तर डर रहीं थीं
पकड़ उनकों ख़ुद अपने हाथों लिखना सिखाया आपने
ज़िन्दगी में रोशनी कर प्रेम की पुरुवा बहाया आपने
( मेरा सभी गुरुजनों को कोटि कोटि नमन )
बचपने में यातनाएँ दीं बहुत जी भर रुलाया में आपने
आज जीवन जो भी मेरा मेरे पास है उसको बनाया आपनेज़िन्दगी में रोशनी कर प्रेम की पुरुवा बहाया आपने
( मेरा सभी गुरुजनों को कोटि कोटि नमन )
अज़ीज़ जौनपुरी
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