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Wednesday, August 15, 2012

Kumar Anil : Tevar

आचानक  भूख  क़े तेवर    बदलने  लग गये हैं
 बेखौफ़ हो विद्रोह के शोले भड़कने लग गये हैं 
सामंती  ठसक  अब  सर  झुकाने  लग  गये हैं
 देखते ही  देखते  मंज़र  बदलने  लग  गये हैं 

 झोपड़ो से  बेख़ौफ़ पत्थर  चलने  लग गये  हैं
यातना ,कुण्ठा ,घुटन सब  उबलने लग गये  हैं
भूख के तूफान महलों को ढहाने  लग गये हैं
देखते  ही  देखते  मंज़र  बदलने  लग  गये  हैं

हरखुआ,होरी,फुलिया सब जिन्दा होने लग गये हैं 
खूब हंगामा करो सब के सब  ये कहने लग गये हैं
अचानक आधिओं  के  गहन संकेत  लग गये हैं
देखते  ही  देखते  मंजर  बदलने  लग  गये  है

 भड़क, भूख के जज़्बात  विद्रोह करने लग गये हैं
रूक नही सकते कदम  सब ये कहने  लग गये हैं
बन उदधि  का ज्वार महलों को डुबोने लग गये हैं
देखते  ही  देखते  मंजर  बदलने  लग  गये  है
                                                                
                                         अज़ीज़ जौनपुरी 

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