आचानक भूख क़े तेवर बदलने लग गये हैं
बेखौफ़ हो विद्रोह के शोले भड़कने लग गये हैं
सामंती ठसक अब सर झुकाने लग गये हैं
देखते ही देखते मंज़र बदलने लग गये हैं
झोपड़ो से बेख़ौफ़ पत्थर चलने लग गये हैं
यातना ,कुण्ठा ,घुटन सब उबलने लग गये हैं
भूख के तूफान महलों को ढहाने लग गये हैं
देखते ही देखते मंज़र बदलने लग गये हैं
हरखुआ,होरी,फुलिया सब जिन्दा होने लग गये हैं
खूब हंगामा करो सब के सब ये कहने लग गये हैं
अचानक आधिओं के गहन संकेत लग गये हैं
देखते ही देखते मंजर बदलने लग गये है
भड़क, भूख के जज़्बात विद्रोह करने लग गये हैं
रूक नही सकते कदम सब ये कहने लग गये हैं
बन उदधि का ज्वार महलों को डुबोने लग गये हैं
देखते ही देखते मंजर बदलने लग गये है
अज़ीज़ जौनपुरी
बेखौफ़ हो विद्रोह के शोले भड़कने लग गये हैं
सामंती ठसक अब सर झुकाने लग गये हैं
देखते ही देखते मंज़र बदलने लग गये हैं
झोपड़ो से बेख़ौफ़ पत्थर चलने लग गये हैं
यातना ,कुण्ठा ,घुटन सब उबलने लग गये हैं
भूख के तूफान महलों को ढहाने लग गये हैं
देखते ही देखते मंज़र बदलने लग गये हैं
हरखुआ,होरी,फुलिया सब जिन्दा होने लग गये हैं
खूब हंगामा करो सब के सब ये कहने लग गये हैं
अचानक आधिओं के गहन संकेत लग गये हैं
देखते ही देखते मंजर बदलने लग गये है
भड़क, भूख के जज़्बात विद्रोह करने लग गये हैं
रूक नही सकते कदम सब ये कहने लग गये हैं
बन उदधि का ज्वार महलों को डुबोने लग गये हैं
देखते ही देखते मंजर बदलने लग गये है
अज़ीज़ जौनपुरी
Bahut khoob...
ReplyDeletenice presentation .आजादी ,आन्दोलन और हम
ReplyDeleteshaandaar!
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