आवारा कुत्ते
(फै़ज़ अहमद फ़ैज़ को समर्पित )
हर मोहल्ले में होते हैं आवारा कुत्ते
सूंघते फिरते रहते हैं कूड़े के लित्ते
हो तेरा मोहल्ला या मेरा मोहल्ला
मिल जायगें सब जगह ऐसे आवारा कुत्ते
देख बोटी टपकती हैं जिनके मुँह से लारें
दुम हिलाने में माहिर हैं होते ये कुत्ते
सूँघने में है इनका कोई शानीं नहीं
आदमी की सकल में भी हैं मिलते ये कुत्ते
बदनाम होता है बेचारा कुत्ता
कुत्ते से शातिर भी होते ये कुत्ते
दुनियाँ की दुत्कार है इनकी कमाई
फांकों से उकता के न मरते ये कुत्ते
न एहसासे -ज़िल्लत से होते परीशां ये
नोंच खाने में शातिर हैं होते ये कुत्ते
कोई मज़लूम मखलूक गर इनको अकेली मिले
उसकी हड्डी चबाने में हैं माहिर ये कुत्ते
इधर सूंघ कर फिर उधर सूघते हैं
हर इक -इक के आते-जाते ये कुत्ते
रिश्ते बनाने में है बड़े माहिर ये कुत्ते
दुम हिलाते ये कुत्ते ख़ून पीते ये कुत्ते
गर इसे मांस का एक टुकड़ा दिखे तो
हो नंगे, झपट टूट पड़ते ये कुत्ते
अज़ीज़ जौनपुरी
बदनाम होता है बेचारा कुत्ता
कुत्ते से शातिर भी होते ये कुत्ते
दुनियाँ की दुत्कार है इनकी कमाई
फांकों से उकता के न मरते ये कुत्ते
न एहसासे -ज़िल्लत से होते परीशां ये
नोंच खाने में शातिर हैं होते ये कुत्ते
कोई मज़लूम मखलूक गर इनको अकेली मिले
उसकी हड्डी चबाने में हैं माहिर ये कुत्ते
इधर सूंघ कर फिर उधर सूघते हैं
हर इक -इक के आते-जाते ये कुत्ते
रिश्ते बनाने में है बड़े माहिर ये कुत्ते
दुम हिलाते ये कुत्ते ख़ून पीते ये कुत्ते
गर इसे मांस का एक टुकड़ा दिखे तो
हो नंगे, झपट टूट पड़ते ये कुत्ते
अज़ीज़ जौनपुरी
साँप से भी ज़्यादा होते ज़हरीले होते ये कुत्ते ़चारों तरफ़ मुँह मचारनें होते माहिर ये कुत्ते हल्की सी गर इनकी दुम को हिला दोछोड़ रोटी जिस्म पर झटपट पड़ते ये कुत्ते ,क्या ख़ूब लिखा हैै
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