द्रोणाचार्य
आज का एकलव्य
अगूंठा देता नहीं, दिखाता है
द्रोणाचार्य पर एक नहीं
सौ सौ आरोप लगाता है
द्रोणाचार्य को अनर्थ और
उनके आश्रम को अनर्थ की
कार्यशाला बतलाता है .....
और
गुरु द्रोणाचार्य की गिद्ध दृष्टि
अब अंगूठे पर कम
जेब पर कहीं ज्यादा, और
उससे भी कहीं ज्यादा
कहीं और टिकी रहती हैं
लाख कोशिशों के वावजूद
बार बार घूम फिर ,
फिर वहीं पहुँच,
टिकी की टिकी रह जाती हैं
अज़ीज़ जौनपुरी
Aur Dronacharya !!!!!!
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