मौत को बुला दे कोई
नीद आ गई है दिले मासूम को जगा दे कोई
फूल हसरतों के पलकों में सज़ा दे कोई
न ख्वाब आये, न सहर हुई , न खुली पलकें
या उनको बुला दे ,या मौत को बुला दे कोई
है कोई एक चेहरा जो रह रह के सदा देता है
अपने सुर्ख होठों को पलकों पे सज़ा दे कोई
चाँदनी रात तपिस सूरज की हुई जाती है
है आखिरी वक्त मेरा, चाँद को बता दे कोई
चंद घड़ियाँ हीं हैं, अब बची ज़िन्दगी की
भर बाँहों में,सजा उम्र कैद की सुना दे कोई
अज़ीज़ जौनपुरी
बेहतरीन रचना | बधाई
ReplyDeleteचंद घड़ियाँ हीं हैं, अब बची ज़िन्दगी की
ReplyDeleteभर बाँहों में,सजा उम्र कैद की सुना दे कोई
ये हुई न बात
बेहतरीन गजल " न ख्वाब आये, न सहर हुई , न खुली पलकें ,या उनको बुला दे ,या मौत को बुला दे कोई
ReplyDeleteअत्युत्तम
ReplyDeleteबेहतरीन गजल जितनि तारिफ करे कम...्वाह वाह
ReplyDeleteबहुत सुन्दर आभार . छत्तीसगढ़ नक्सली हमला -एक तीर से कई निशाने
ReplyDeleteसाथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
बहुत सुन्दर .आभार . छत्तीसगढ़ नक्सली हमला -एक तीर से कई निशाने
ReplyDeleteसाथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
बहुत ही सुन्दर लाजबाब ग़ज़ल की प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मनभाती रचना
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना सुंदर प्रस्तुति!!
ReplyDeleteन ख्वाब आये, न सहर हुई , न खुली पलकें
ReplyDeleteया उनको बुला दे ,या मौत को बुला दे कोई ..
बहुत खूब ... यार न हो तो मौत आ जाए ...
गज़ब का कलाम है ...
बहुत बढ़िया प्रस्तुति आदरणीय ... बधाई !
ReplyDeleteBeautiful emotions and its expressions.
ReplyDeleteBharat
न ख्वाब आये, न सहर हुई , न खुली पलकें
ReplyDeleteया उनको बुला दे ,या मौत को बुला दे कोई
....बहुत खूब! लाज़वाब ग़ज़ल...
वाह.बहुत उम्दा प्रस्तुति .बेहतरीन
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