मेरी गजलों को सुब्हो-शाम पढ़ा कीजिए
आईना देख शर्मा फिर हँसा कीजिए
जिंदगी बिन तुम्हारे मेरी कैसे कटी
मेरी नज़रों में ख़ुद यह पढ़ा कीजिए
भूख से हो गई है अब मेरी दोस्ती
पेट बातों से मेरा अब भरा कीजिए
अपनी नाकामियों पर न शर्माओं तुम
हँस इल्ज़ाम मुझ पर मढ़ा कीजिए
एक चेहरा कोई जुड़ गया जिंदगी से
मेरे चेहरे को अपना कहा कीजिए
चंद लमहे ज़िन्दगी के गुनहगार थे
उन गुनाहों को मेरे सर मढ़ा कीजिए
दिया प्यार का जल रहा है जो दिल में
अपनी पलकों पे उसको रखा कीजिये
एक चिंगारी अभी है महफूज दिल में
अपनी पलकों से उसको हवा दीजिए
कुछ शरम कीजिए कुछ रहम कीजिए
"अज़ीज़"से प्यार जी भर किया कीजिए
अज़ीज़ जौनपुरी
अपनी नाकामियों पर न शर्माओं तुम
हँस इल्ज़ाम मुझ पर मढ़ा कीजिए
एक चेहरा कोई जुड़ गया जिंदगी से
मेरे चेहरे को अपना कहा कीजिए
चंद लमहे ज़िन्दगी के गुनहगार थे
उन गुनाहों को मेरे सर मढ़ा कीजिए
दिया प्यार का जल रहा है जो दिल में
अपनी पलकों पे उसको रखा कीजिये
एक चिंगारी अभी है महफूज दिल में
अपनी पलकों से उसको हवा दीजिए
कुछ शरम कीजिए कुछ रहम कीजिए
"अज़ीज़"से प्यार जी भर किया कीजिए
अज़ीज़ जौनपुरी
वाह क्या बात! बहुत बेहतरीन! हर शेर लाजवाब!
ReplyDeleteबेहतरीन जिंदगी बिन तुम्हारे मेरी कैसे कटी
ReplyDeleteमेरी नज़रों में ख़ुद यह पढ़ा कीजिए
भूख से होगई है अब मेरी दोस्ती
पेट बातों से मेरा अब भरा कीजिए...........................
एक चिंगारी अभी है महफूज दिल में
अपनी पलकों से उसको हवा दीजिए
कुछ शरम कीजिए कुछ रहम कीजिए
"अज़ीज़"से प्यार जी भर किया कीजिए
वाह क्या बात ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और लाजबाब प्रस्तुति.
ReplyDeleteएक चिंगारी अभी है महफूज दिल में
ReplyDeleteअपनी पलकों से उसको हवा दीजिए
खूबसूरत शेर है .
ReplyDelete"अपनी नाकामियों पर न शर्माओं तुम
हँस इल्ज़ाम मुझ पर मढ़ा कीजिए".....बहुत खूब
आजकल दुनिया यही तो कर रही है ...एक तू भी कर ले तो क्या गलत हो जाएगा ...
मेरी नई पोस्ट ....चाहती हूँ यकीन कर लेना .
अपनी नाकामियों पर न शर्माओं तुम
ReplyDeleteहँस इल्ज़ाम मुझ पर मढ़ा कीजिए
बढ़िया है आदरणीय--
आभार आपका ||-
सुन्दर गजल !!
ReplyDeleteआनंद आ गया अज़ीज़ भाई !
ReplyDeleteबधाई !
वाह वाह ... बेहतरीन गज़ल ...
ReplyDeleteसभी अशआर लाजवाब ...
बहुत खूब कही है गजल सर जी हर अशआर अपना अलग वजन रखता है .
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteहर एक शेर बेहतरीन
सादर !
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (17-03-2013) के चर्चा मंच 1186 पर भी होगी. सूचनार्थ
ReplyDeleteदिया प्यार का जल रहा है जो दिल में
ReplyDeleteअपनी पलकों पे उसको रखा कीजिये
एक चिंगारी अभी है महफूज दिल में
अपनी पलकों से उसको हवा दीजिए
सुन्दर गजल
भूख से हो गई है अब मेरी दोस्ती
ReplyDeleteपेट बातों से मेरा अब भरा कीजिए
....वाह! बेहतरीन ग़ज़ल.
सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआभार।
ख़ूबसूरत अशआर अज़ीज़ जी
ReplyDeleteएक चेहरा कोई जुड़ गया जिंदगी से
ReplyDeleteमेरे चेहरे को अपना कहा कीजिए
शानदार गज़ल, हर शेर लाजवाब.......
खुबसुरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबेहतरीन गजल